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नवमी मोहणिज्जा दसा नवमी मोहनीय दशा
सूत्र १
ते णं काले. णं ते णं समएणं चंपा नाम नयरी होत्था । वण्णओ। उस काल और उस समय में चम्पा नामक नगरी थी।
(चम्पा नगरी का वर्णन उववाई सूत्र के अनुसार कहना चाहिए) सूत्र २ ... पुण्णभद्दे नाम चेइए। वण्णओ।
(उस चम्पा नगरी के बाहर) पूर्णभद्र नाम का चैत्य (उद्यान) था। (पूर्णभद्र चैत्य का वर्णन उववाई सूत्र के अनुसार कहना चाहिए)
कोणिय राया। धारिणी देवी । सामी समोसढे। परिसा निग्गया। धम्मो कहिओ। परिसा पडिगया।
वहाँ कौणिक राजा राज्य करता था, उसके धारणी देवी पटराणी थी। (श्रमण भगवान महावीर) स्वामी वहाँ (ग्रामानुग्राम विचरते हुए पधारे । परिषद् चम्पा नगरी से निकलकर धर्म श्रवण के लिये पूर्णभद्र चैत्य में आई। भगवान ने धर्म का स्वरूप कहा ।
वणं कर परिषद् चली गई।