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________________ आ .. १४४ १८३ परिशिष्ट-२ दर्शनशुद्धि प्रकरण-गाथा-अकारादिक्रमः । . अ अक्खरु अक्खइ किंपिन इहइ १६० आऊतेऊवाउ. अगीयात्थादाइन्ने . २०० आणाए अवदृतं अच्चतं ददमि बीयंमि. १४ आयाणं जो भेजा अज्जवि तवसुसियंगा १८० आयार सुयसरीरे अज्जधि तिन्नपइन्ना १७९ आयाराइ अट्ट उ अज्जवि दय-खति १८२ आराहणाए तीए अज्जधि दयसंपन्ना आलय-विहार-भासा अट्टाविहगणिसंपय आसन्नसिद्धियाण अट्टविहं पि य कम्म -- १२ आहकम्मुद्देसिय अट्ठारस जे दोसा आहारसरीरिंदिय २१६ अहामलयपमाणे अन्नाण-कोह-मय इइ जाणिऊण एय अन्नाण-निरंतरतिमिर १५९ अन्नाणंधा मिच्छत्त इत्थ य परिणामी खलु २५४ अन्नाभावे जयणाए इय आगमविहिपुव्वं २९ अन्नोन्नतरियंगुलि इय दहतियसंजुत्त ३६ अरहंति वंदण इय पायं पुवायरिय २६७ अवगाहो आगासो इयरेसु वि य पओसो १९९ अवहटु रायककुहाई इहरा सपरुषघाओ २०१ असंखोसप्पिणि अहिगारि उ गिहत्थो उक्कोस दव्यत्थय ८२ अहिगारिणा इमं खलु उणत्त न कयाइवि १४१ अहिगारिणा विहीए २३ उहिट्टकड भुजइ १३८ अंगुलजोयणलक्खो उन्नयमविक्ख जिन्नस्स २०३ ११५
SR No.002224
Book TitleHitopdeshmala evam Darshanshuddhi Prakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabhanandsuri, Chandraprabhsuri, Kirtiyashvijay
PublisherNaginbhai Paushadhshala
Publication Year1983
Total Pages230
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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