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________________ चिन्तन हैम संस्कृत धातु रूप कोश १५१ प्र + जन् गण-४ आत्म. उत्पन्न युं, पुं, ४न्म. उत्पन्न होना, होना, जन्मना कर्मणि ८१ कर्तर प्रजायामहे प्रजाये प्रजायावहे प्रजाये प्रजायसे प्रजायेथे प्रजाध्वे प्रजायसे प्रजायते प्रजायेते प्रजायन्ते प्रजायते प्राजाये प्राजायावहि प्राजायामहि प्राजाये प्राजायावहि प्राजायामहि प्राजायथाः प्राजायेथाम् प्राजायध्वम् प्राजायथाः प्राजायेथाम् प्राजायध्वम् | प्राजायत प्राजायेताम् प्राजायन्त प्राजायत प्रजायेय प्रजायेवहि प्रजायेमहि प्रजायेय प्रजायेथाः प्रजायेयाथाम् प्रजायेध्वम् प्रजायेथाः प्रजायेत प्राजायेताम् प्राजायन्त प्रजायेयाताम् प्रजायेरन् प्रजायेत प्रजाया है प्रजायाम है प्रजायै प्रजायस्व प्रजायेथाम् प्रजायध्वम् प्रजायताम् प्रजायेताम् प्रजायन्ताम् प्रजायताम् प्रजायेताम् प्रजायावहे प्रजायामहे प्रजायेथे प्रजायध्वे प्रजायेते प्रजायन्ते प्रजायेवहि प्रजायेमहि प्रजायेयाथाम् प्रजायेध्वम् प्रजायेयाताम् प्रजायेरन् प्रजायावहै प्रजायाम है प्रजायै प्रजायस्व प्रजायेथाम् प्रजायध्वम् प्रजायन्ताम् कर्मणि कर्मणि प्रजन्येथे प्रजन्यध्वे जन्ये जन्याव जन्यामहे प्रजन्ये प्रजन्यावहे प्रजन्यामहे जन्यसे जन्येथे जन्यध्वे प्रजन्यसे जन्यते जन्येते जन्यन्ते प्रजन्यते प्रजन्येते प्रजन्यन्ते अजन्ये अजन्यावहि अजन्यामहि प्राजन्ये प्राजन्यावहि प्राजन्यामहि अजन्यथाः अजन्येथाम् अजन्यध्वम् प्राजन्यथाः प्राजन्येथाम् प्राजन्यध्वम् अजन्यत अजन्येताम् अजन्यन्त जिन्येय जन्येवहि जन्येमहि जन्येथाः जन्येयाथाम् जन्येध्वम् जन्येत जन्येयाताम् जन्येरन् प्राजन्यत प्राजन्येताम् प्राजन्यन्त प्रजन्येय प्रजन्येवहि प्रजन्येमहि प्रजन्येथाः प्रजन्येयाथाम् प्रजन्येध्वम् प्रजन्येत प्रजन्येयाताम् प्रजन्येरन् प्रजन्यै प्रजन्यावहै प्रजन्यामहै प्रजन्यस्व प्रजन्येथाम् प्रजन्यध्वम् प्रजन्यताम् प्रजन्येताम् प्रजन्यन्ताम् जिन्यै जन्यावहै जन्यामहै जन्यस्व जन्येथाम् जन्यध्वम् जन्यताम् जन्येताम् जन्यन्ताम्
SR No.002222
Book TitleChintan Haim Sanskrit Dhatu Rupkosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaresh L Kubadiya
PublisherHaresh L Kubadiya
Publication Year2004
Total Pages150
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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