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चिन्तन हैम संस्कृत धातु रूप कोश १०७| वि + लोक् गण-१ |आत्म. वियोजन २.
विलोकन करना, विशेष रूप से देखना कर्तरि
कर्मणि विलोके ... विलोकावहे विलाकामहे विलोक्ये विलोक्यावहे विलोक्यामहे विलोकसे विलाकेथे विलाकध्वे विलोक्यसे विलोक्येथे विलोक्यध्वे विलोकते विलोकेते विलोकन्ते । ||विलोक्यते विलोक्येते. विलोक्यन्ते व्यलोके व्यलोकावहि व्यलोकामहि व्यलोक्ये व्यलोक्यावहि व्यलोक्यामहि व्यलोकथाः व्यलोकेथाम् व्यलोकध्वम् ||व्यलोक्यथाः व्यलोक्येथाम् व्यलोक्यध्वम् व्यलोकत व्यलोकेताम् व्यलोकन्तव्यलोक्यत व्यलोक्येताम् व्यलोक्यन्त (विलोकेय विलोकेवहि विलाकेमहि विलोक्येय विलोक्येवहि विलोक्येमहि विलाकेथाः विलोकेयाथाम् विलोकेध्वम् ||विलोक्येथाः विलोक्येयाथाम् विलोक्येध्वम् विलोकेत विलाकेयाताम् विलोकेरन् विलोक्येत. विलोक्येयाताम् विलोक्येरन् विलोकै विलोकावहै विलोकामहै विलोक्यै विलोक्यावहै विलोक्यामहै विलोकस्व विलोकेथाम् विलोकध्वम् विलोक्यस्व विलोक्येथाम् विलोक्यध्वम् विलोकताम् विलोकेताम् विलोकन्ताम् विलोक्यताम् विलोक्येताम् विलोक्यन्ताम्
कर्मणि परिवर्तन
For ॐ ॐ
१३. १४. १५. १६. १७. १८.
जि.१.ग.प. जी श्रि.१.ग.उ. श्री क्षि.१.ग.प. क्षी दा.१.ग.प. दी स्था.१.ग.प. स्थी पा.१.ग.प. पी गै.१.ग.प. गी द्रु.१.ग.प. द्रू सृ.१.ग.प. सि हृ.१.ग.उ. हि भृ.१.ग.उ. ध्रि तृ.१.ग.प. तीर्
स्मृ.१.ग.प. स्मर् स्फुर्.६.ग.प. स्फूर् ध्यै.१.ग.प. ध्या वद्. १.ग.५. उद् वस्.१.ग.प. उष् वह्.१.ग.उ. उह वप्.१.ग.उ. उप अस्.२.ग.प. भू. जन्.४.ग.आ. जन्, जा प्रच्छ्.६.ग.प. पृच्छ हृ.१.ग.उ. 'हू .
१९.
२०.
२१.
२२.
२३.