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चिन्तन हैम.संस्कृत धातु रूप कोश
५३ १०५ उद् + लङ्ग गण-१ आत्म. संधन ४२y, मोगा.
उल्लंघन करना कर्तरि
कर्मणि उल्लङ्घ उल्लङ्घावहे उल्लङ्घामहे उल्लद्ध्ये उल्लघ्यावहे उल्लद्ध्यामहे उल्लङ्घसे उल्लङ्केथे उल्लङ्घध्वे ||उल्लयसे उल्लच्येथे उल्लघ्यध्वे उल्लङ्घते उल्लङ्घते उल्लङ्घन्ते उल्लङ्घ्यते उल्लङ्घ्येते उल्लङ्घ्यन्ते उदलो उदलङ्घावहि उदलङ्ग्रामहि उदल ये उदलघ्यावहि उदलद्ध्यामहि उदलचथाः उदलफेथाम् उदलमध्वम् उदलङ्घ्यथाः उदल येथाम् उदल यध्वम् उदलङ्घत उदलङ्घताम् उदलङ्घन्त उदलङ्घयत उदलद्ध्येताम् उदलङ्घ्यन्त उल्लङ्घय उल्लङ्ग्रेवहि उल्लङ्ग्रेमहि |उल्लङ्घ्येय उल्लच्येवहि उल्लङ्घ्येमहि उल्लङ्ग्रेथाः उल्लङ्घयाथाम् उल्लङ्घध्वम् |उल्लङ्घयेथाः उल्लद्ध्येयाथाम् उल्लङ्घ्येध्वम् उल्लङ्घत उल्लङ्घयाताम् उल्लङ्घरन् उल्लङ्घ्येत उल्लङ्घ्येयाताम् उल्लङ्घयेरन् । उल्लङ्घ उल्लङ्घावहै उल्लङ्घामहै उल्लद्ध्यै उल्लघ्यावहै उल्लध्यामहै उल्लङ्घस्व उल्लङ्केथाम् उल्लङ्घध्वम् उल्लध्यस्व उल्लङ्घ्येथाम् उल्लङ्घ्यध्वम् उल्लङ्घताम् उल्लङ्घेताम् उल्लङ्घन्ताम् उल्लङ्घयताम् उल्लद्ध्येताम् उल्लङ्घयान्ताम १०६/ लोक् गण-१ |आत्म:/ong, साउन २j.
· देखना, अवलोकन करना
लोके लोकावहे लोकामहे लोक्ये लोक्यावहे लोक्यामहे लोकसे लोकेथे . लोकध्वे |लोक्यसे लोक्येथे लोक्यध्वे लोकते. लोकते लोकन्ते लोक्यते लोक्येते लोक्यन्ते अलोके अलोकावहि अलोकामहि अलोक्ये अलोक्यावहि अलोक्यामहि अलोकथाः अलोकेथाम् अलोकध्वम् ||अलोक्यथाः अलोक्येथाम् अलोक्यध्वम् अलोकत अलोकेताम् अलोकन्त अलोक्यत अलोक्येताम् अलोक्यन्त लोकेय लोकेवहि लोकेमहि लोक्येय लोक्येवहि लोक्येमहि लोकेथाः लोकेयाथाम लोकेध्वम लोक्ये थाः लोक्येय लोकेत लोकेयाताम् लोकेरन् । ||लोक्येत लोक्येयाताम् लोक्येरन् लोकै लोकावहै लोकामहै लोक्यै लोक्यावहै लोक्यामहै लोकस्व लोकेथाम् लोकध्वम् लोक्यस्व लोक्येथाम् लोक्यध्वम् लोकताम् लोकेताम् लोकन्ताम् लोक्यताम् लोक्येताम् लोक्यन्ताम्