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________________ (१०) श्रीनवतत्त्वविस्तरार्थः - प्रकृतिबन्धनादि ४ नु विवेचन. २७१ संक्षेपमा ४ बन्धहेतुओनुं वर्णन. ર૭રૂ मूळ तमा उत्तर कर्मप्रकृतिभेदो दर्शाषनारी प्रक्षिप्त गाथा आडत्रीशमी. २७४ आठ कर्मोन टुंक स्वरूप. २७५ आठ कर्मोना स्वभावसूचक दृष्टान्तो बतावनार प्रक्षिप्त .. गाथा ओगणचालीशमी. २७६ कर्मना आठ दृष्टान्तोनुं विवेचन. .. २७७ उच्चकुलादि विवेक नही माननाराओने शिक्षण. २८० आठ कर्मोपैकी चार कर्मोनी उत्कृष्टस्थिति दर्शावनारी । प्रक्षिप्त गाथा चालीशमी. २८१ शेष चार कर्मोनी उत्कृष्टस्थितिसूचक प्रक्षिप्त ____ गाथा एकतालीसमी. २८२ कर्मोनी जघन्यस्थितिदर्शावनारी प्रक्षिप्त गाथा ४२ मी. २८३ बन्धतत्त्व परिशिष्ट. आठ कर्मोनी उत्कृष्ट-जघन्य स्थिति अबाधाकालदर्शक यंत्र. २८५ मोक्षतत्वप्रारंभ मोक्षतत्त्वना नवद्वार दर्शावनार गाथा ४३ मी २८६ नवद्वारोनु विवेचन. २८७ सत्पदप्ररुपणोद्वारस्वरूप सूचक प्रक्षिप्त गाथा ४४ मी. २८९ मूल चौद - उत्तर बासठ मार्गणा बतावनारी प्रक्षिप्त, . गाथा पीस्तालीशमी. २९२ मार्गणादर्शक यंत्र. २९३ मार्गणाओमां मोक्षपद प्राप्तिदर्शक प्रक्षिप्त गाथा ४६ मी. २९५ द्रव्यप्रमाण तथा क्षेत्रद्वार बतावनारी प्रक्षिप्त गाथा ४७ मी. ३०० स्पर्शना-काल-अन्तरद्वारसूचक प्रक्षिप्त गाथा अडतालीशमी.३०३ भाग तथा भावद्वार बतावनारी प्रक्षिप्त गाथा ४९ मी. ३०६ अल्पबहुत्वद्वार बतावनारी प्रक्षिप्त' गाथा पचासमी. ३०१ नपुंसक भेदो तथा मुक्तियोग्य नपुंसकस्वरूप. समकाले सिद्धियोग्य जीव संख्या यंत्र. ३१४ नवतत्वज्ञान तथा श्रद्वाननु फल सूचवनारी गाथा ५१ मी. ३१६ सम्यक्त्व संबंधमां जाणवायाग्य प्रश्नोत्तरा. ३१८ ३१०
SR No.002215
Book TitleNavtattva Vistararth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Granth Prakashak Sabha
PublisherJain Granth Prakashak Sabha
Publication Year1923
Total Pages426
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, B000, & B010
File Size7 MB
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