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________________ - ॥विषयानुक्रमणिका ॥ ર૪૮ २२ परीषहमां कर्मोदय अने गुणस्थानयंत्र.. २३९ १० प्रकारे यतिधर्मदर्शावनारी प्रक्षिप्त गाथा ओगणत्रीसमी २४० क्षान्त्यादि दशेधर्मोनुं टुंक विवेचा. . २४० बारभावनाओ पैकी प्रथमनी नव भावनाओ दर्शावनार प्रक्षिप्त गाथा त्रीशमी. २४३ अनित्यतादि भावनाओर्नु संक्षिप्त विवेचन. २४४ शेषभावनाओ बतावनारी प्रक्षिप्त गाथा एकत्रीशमी २४६ लोकस्वभावादि भावनाओन टुं क वर्णन. ર૬ पांच चारित्रो पैकी प्रथमनो चार दर्शावनारी प्रक्षिप्त - गाथा बत्रीशमी. २४८ सामायिकादि चारित्रोनं विवेचन.. परिहारविशुद्धि चरित्रवर्णन प्रसंगे तेना भेदो तथा परिहारविशुद्धिचारित्र उपर क्षेत्रादि वीश द्वारोनुं विवेचन.२५० यथाख्यातचारित्रनुं स्वरूप तथा महिमा सूचवनारी प्रक्षिप्त गाथा तेत्रीशमी. २५४ संवरतत्स्वपरिशिष्ट गतीन्द्रियादिमानणाए संघरोनुं घटावq. २५६ निर्जरातत्त्व प्रारंभ निर्जराना बारभेद तथा बन्धना चार भेद दर्शावनार गाथा चोत्रीशमी. २५३ प्रकृन्यादि. बन्धभेदोन विवेचन. २५७ छ बाह्य तप सूचवनार प्रक्षिप्त गाथा पांत्रीशमी. छ बाह्यतपभेदोनु विवेचन. अणसणना भेदो. पुरुषस्त्रीनपुंसकना आहारनुं प्रमाण. अभ्यन्तरतपो भेदो सूचवनार प्रक्षिप्त गाथा छत्रीशमी. प्रायश्चित्तनु स्वरूप तथा विवेचन. विनय, स्वरूप तथा विवेचन. वैयावृत्त्यस्वरूप तथा विवेचन. स्वाध्याय स्वरूप तथा भेद विवेचन. २६६ आत--रौद्र-धर्म-शुक्लध्यानना विवेचनी तथा भेदो. २६६ उत्सर्गस्वरूप तथा भेदविवेचन. . . . . . प्रकृतिबन्धादिनु स्वरूप सूचवमारी प्रक्षिप्त गाथा ३७ मी. २७१ २६९.
SR No.002215
Book TitleNavtattva Vistararth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Granth Prakashak Sabha
PublisherJain Granth Prakashak Sabha
Publication Year1923
Total Pages426
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, B000, & B010
File Size7 MB
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