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*॥ मोक्षतत्त्वपरिशिष्टम् ॥ _***** ** श्री नवतत्त्वभाष्यादि ग्रन्थोमां सिध्ध परमात्माओने १२ अनुयोगद्वारे वर्णवेला छे, ते आ प्रमाणे
१ क्षेत्रद्वार-४५ लाख योजन प्रमाण मनुष्यक्षेत्रमा ज सिध्ध थाय, तेमां पण संहरणथी संपूर्ण मनुष्यक्षेत्रमां, अने जन्मथी १५ कर्मभूमिओमां सिध्ध थाय, त्यां संहरणमुक्ति त्रणे लोकमां द्वीपोंमां ने समुद्रोमां पण छे, अने असंहरण (-जन्म) मोक्ष तिर्यग्ने अधोलोकमांज होय छे....
२ कालद्वार-भरत अने औरवत क्षेत्रमा उत्सर्पिणी काळना त्रीजा अने चोथा आराना जन्मेलां त्रीजा चोथा आरामां मोक्षे जाय, अने अवसर्पिणी काळना त्रीजा चोथा ने पांचमा आरामां मोक्षे जाय पण तेमां पांचमा आरानो जन्मेल जीव पांचमा आरामां मोक्षे न जाय पण चोथा आरानो जन्मेल पांचमे आरे मोक्षे जाय पुनः उत्सर्पिणीना १ ला बोजा पांचमाने छठ्ठा आरामां तथा अव० ना हेला-बीजा-ने छठा आरामां संहरायलाज मोक्षे जाय. अने महाविदेहमा सदाकाळ मोक्षे जाय.
३ गतिद्वार-चार गतिमांथी मनुष्यगतिवाळा ज मोक्षजाय.
४ लिंग-त्रणे लिंगे मोक्षे जाय. अने द्रव्यथी स्वलिंगेअन्यलिंगे-ने गृहस्थलिंगमां पण मोक्षे जाय ( परन्तु भावलिंग जे क्षायिक सम्यक्त्वादि ते तो छएजें एक सरखं ज जाणवू,)