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[३२४) ॥श्री नवचविस्तरार्थः ॥ कहेवाय छे, ते प्रथम समयावलिमुहत्ता ए गाथामां दर्शाव्या प्रमाणे जो के ९ समयथी २ घडीमा १ समय कमी ( अर्थात् ४८ मिनिटमा १ समय कमी जेटला) काळ सुधीनां पण अन्तर्मुहूत्तौज कहेवाय छे, परन्तु अहिं असंख्य समयात्मक मध्यम अन्तर्मुः जाणवं, एटला अल्पकाळनुं सम्यक्त्त्व पण जो प्राप्त थाय तो जीव अवश्य मोक्षे जशे एम निर्णय थइ चुक्यो जाणवो. .
१० को० को० सागरोपमनी १ अवसर्पिणी अने एटलाज काळनो १ उत्सर्पिणी थाय, अने ए वे मलीने १ का
चक्र थाय, अथवा असंख्यात वर्षनो १ पल्योपम, १० को डाकोडि (-१०,०००००००००००००० ) पल्योपमनो ? सागरोपम, २० कोडाकोडि (-२०,०००००००,००००००० सागरोपमनुं १ काळचक्र, अने एवां अनंतकाळचक्रनो अथवा अनंत अवस०-उत्स० नो १ पुद्गलपरावर्त काळ थोय छे, आ जीवे संसारमा परिभ्रमण करतां एवां अनंतानंन पुद्गलपराव? अनादिकाळथी मांडीने आजसुधीमां व्यतीत कयां छे, परन्तु कोइ पण सम्यक्त्वादि लाभ प्राप्त कयों नथी, अने जो हनी पण सम्यक्त्वादि लाभ न प्राप्त करे तो जेटलां पूर्वे व्यतीत कों ते. टलां अथवा तेथी अनंतगुणां पुद्गलपरावर्त व्यतीत करवां पडे, अने जो अन्तर्मु० जेटलोवार पण सम्यक्त्व मात्र पामे तो तेटलां
१ ए बाबतना बन्ने मत शास्त्रमा प्रसिद्ध छे, कोइ कहे छे के जेटलो काळ पूर्वे व्यतीत थयो तेटलो भविष्यमां व्यती. त करवानो छे, ने कोइ कहे छे के तेथी अनन्त गुणो काळ व्यतीत करवानो छे, अथवा बीजी रोते जेटलो भूतकाळ छे. तेटलो भविष्य काळ छे, एम केटलाएक आचार्यों कहे छे, ने केटलाएक तो 'अणागयद्धा अणंतगुणा' भविष्यकाळ(भूतकाळथी) अनन्तगुणो छ एम कहे छे, बन्ने मत युक्तिवाळा छे.