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(३१०) ॥श्री नवतत्त्वविस्तरार्थः ॥ - विस्तरार्थ:-हवे आ गाथामां कया सिध्धजीवो अल्प छ ? ने कया सिध्ध जीवो घणा छे तेनो परस्पर तफावत दर्शावतां ग्रंथकार कहे छे के नपुंसक लिंगे सिध्ध थयेला जीवो सर्वथो अल्प छे कारण के तेवा जीवो १ समयमा १० ज मोक्षे जाय छे. अर्थात् जे मनुष्य भवमांथी निर्वाण पामी सिध्ध थाय छे ते मनुष्य भवमाथी नपुंसक लिंगवाळा १० मनुष्यो मोक्षे जइ शके छे, पण वधु नहि, थोवा नपुंससिद्धा-नपुं० लिंगे सिध्ध थयेला सर्वथी अल्प छे. तेथी स्त्री लिंगे सिध्ध थयेला जीवो संख्यातगुण छे, कारण के मनुष्यभवमांथी १ समये (-समकाळे ) २० स्त्रीयो मोक्षे जाय छे, ने २० ते १० थी बमणा होवाथी ( जघन्य ) संख्यात गुण थाय छे. तथा पुरुष लिंगे सिध्ध थयेला ते ( स्त्रीलिंग सिध्ध ) थी पण संख्यातगुणा छे, कारण के मनुष्यभवमांथी समकाळे १०८ पुरुषो मोक्षे जइ शके छे ने १०८ ते २० थी आठ अधिक पांचगुणी संख्या होवाथी ( मध्यम ) संख्यात गुणज कहेवाय छे. ए प्रमाणे पूर्व भवना लिंग आश्रयि सिध्ध परमात्मानुं अल्पबहुत्व दर्शाव्यु, कारण के सिध्धपणामां लिंगादि भेदनो अभाव होवाथी अने सर्व सिध्ध परमात्माओ सर्व रोते एक सरखा होवाथी परस्पर ( भेदना
१ अहिं कया नपुसको मोक्षे जइ शके छे, अने कया नथी जइ शकता ते दर्शावाय छे.
नपुंसक १६ प्रकारना जाति नपुंसक दीक्षाने अयोग्य हो. वाथी मोक्षे जइ शकता नथी, ते १० नपुसकनां नाम
१ पंडक-स्वभाव स्त्री सरखो अने आकार पुरुष मरखो एटले मंदगतिए चाले-शंका सहित पछवाडे जोती चाले-शरीर शोतळ ने कोमळ होय-हाथना ताबोटा पाडे. हाथना चाळा करे-आंखो नचावे-केडे हाथ दइ चाले-सेंथा पाडे --श्रृंगार करवो बहु गमे-स्नानादि गुप्त करे-पुरुष सभामां शंका पामे - स्त्री समुदायमां निडरपणे बेसे-इत्यादि स्त्री मरखा स्व