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॥ संवरपरिशिष्टम् ॥
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|| संवरतत्त्वपरिशिष्टम् ॥
नरकगतिमां १२ -- नरकगतिमां १२ भावनारूप १२ संवर भेद होय छे, पण समिति गुप्ति परिषह अने यतिधर्म ए सर्व विरतिवंतने होवाथी अने सर्व विरतिनो नरकमां अभाव होवाथी समिति विगेरे ४५ संवरभेद न होय अने १२ संवरभेद होय.
तिर्यचगतिमां १२ - नरकगतिवत्.
देवगतिमां १२ - नरकगतिंवत्.
मनुष्यगतिमां ५७ - - मनुष्यगतिमां सर्वेविरतिनो सद्भाव होवाथी संवरतत्वना सर्वे ५७ भेद होय.
एकेन्द्रियमां - एकेद्रियमां संवरनो कोइपण भेद न होय,
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(२५५-क.)
कारण के सर्वविरतिना अभावे समिति विगेरे ४५ संवर न होय, अने मनयोगना अभावे १२ भावना पण न होय.
दीन्द्रियमां ० - एकेन्द्रियवत्त्रीन्द्रियमां ० एकेन्द्रियवत. चतुरिन्द्रियमां ०
एकेन्द्रियवत्.
पंचेन्द्रियमां ५७ - - पंचेन्द्रियमां गर्भजमनुष्यने सर्वविरति अने म नोयोगना सद्भावे सर्वे ५७ संवरभेद होय छे.
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पृथ्वीकायां ० कारण एकेन्द्रियवत
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अपकायमां ते कायम
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वायुकायमां वनस्पतिमां ०
त्रसकायम ५७ - - त्रसकायमां गर्भजमनुष्यने ५७ संवरभेद होय.
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