________________
॥ संवरतत्त्वे परिषहवर्णनम् ॥
-
-
-
-
-
२२ परिषहमा कर्मोदय अने गुणस्थान,
परिषहनां _नाम,
कया कर्मना कये. उदयथी । गुणस्थाने
१ थी १३
क्षुधा-पिपासा-शीतउष्ण-दंश-चर्या-शय्या वेदनीय मल-वध-रोग-तृणस्पर्श
। ११)
মর্মা
।
ज्ञानावना | १ थी क्षयोपशमथी
अज्ञान
1
)
अहिं शीत-उष्ण. अने चर्या-नैषेधिकी ए बे द्विकमां शीत होय तो उष्ण न होय, चर्या होय तो नै० न होय एम कोइपण विरोधी. एकेक परिषहना अभावथी एक जीवने समकाळे २० परिषह १ थी ९ गुण सुधी. १०थी १२ सुधीनाने १२ परिषह अने सयोगिकेवलिने ९ परिषहनो उदय समकाळे होय अने सामान्यतः अनुक्रमे २०-१४-११ परिषहनो उदय होय.
STTGTTero
सम्यक्त्व
दर्शन मोहनीय
अलाभ
लाभान्तराय
आक्रोश-अरति-स्त्री.. नैषेधिकी--अचेल..
चारित्र | १ थी.९ मोहनीय | सुधी.
याचना-सत्कार
-