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________________ ॥ पद्रव्येषु परिणाम्यादिद्वारवर्णनम्. ॥ (१४७) ९ पुद्गलोमां ' गुरुत्व, लघुत्व, गुरुलघुत्व, अने ' अगुरुल. घुत्व, उपजq ते " अगुरुलघुपरिणाम. १० पुद्गलोमां ध्वनि-अवाज उपजवो ते शब्दपरिणाम. . पुद्गलद्रव्य ए १ प्रकारना परिणाम ( धर्म ) वाळ होवाथी. पुद्गलद्रव्य परिणामी छे. धर्मास्तिकायादि द्रव्यमां पूर्वोक्त गत्यादि कोइपण परिणाम(धर्म) नहिं होवाथी धर्मास्तिकायादि ४ द्रव्य अपरिणामी अने जीव तथा पुद्गल परिणामी छे. (आ परिणामर्नु स्वरूप श्री प्रज्ञापनामुत्रना परिणाम पदमांथी संक्षेपे उद्धरेल छे.) ॥ ६ द्रव्यमां जीव कोण अने अजीव कोण ? छ द्रव्यमां जीवत्व स्वभाववाल एक जीव द्रव्य जीव छे, अ. ने शेष पांच द्रव्य अजीव छे. ॥ ६ द्रव्यमां रूपी कोण अने अरूपी कोण? ॥. ___ वर्ण-गंध-रस-स्पर्श ए रूप कहेवाय, अने ए वर्णादि रूप जेने होय ते रूपी कहेवाय. त्यां वर्णादि पुद्गलद्रव्यनेज होय छे माटे पुद्गलद्रव्य रूपी, अने शेष ५ द्रव्य अरूपी छे. १ पत्थर विगेरेमा जैम भारीपणुं, (अधोगतिना कारणरूप) २ वराळ अने धूम विगेरेमां जेम हलवापणुं ( उर्ध्व ग. तिना ( कारणरूप) ३ वायु विगेरेमांजेम गुरु हलवाप[(तिच्छीगतिना कारणरूप) ४ परमाणु विगेरेमा जेम न लघुपणुं न गुरुपणुं (प्रा. यः स्थिरताना कारण रूप ). ५ ए अगुरुलघुपरिणाम पुद्धल सिवाय धर्मास्तिकायादि अरूपि द्रव्योभां पण छे. औदा-आहा०-वै० ने तैजस ए चार गुरुलघु छे, तथा कार्मण-मन-उच्छवास अने भाषा अगुरुलघु द्रव्य छ,
SR No.002215
Book TitleNavtattva Vistararth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Granth Prakashak Sabha
PublisherJain Granth Prakashak Sabha
Publication Year1923
Total Pages426
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, B000, & B010
File Size7 MB
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