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( १३२) । श्री नवतत्त्वविस्तरार्थः । षयरूप) ए कृष्णादि वर्ण परमाणु पुद्गलनो गुण छे, परन्तु कृष्णादि वणं पोते पुद्गल नथी, माटे वर्ण ए बुद्गलनुं गुणरूप लक्षण छे,
॥ गंध.॥ घाणेन्द्रियनो ( नाकनो ) जे विषय ते गंध सुगंध अने दुर्गधना भेदथी बे प्रकारे छे, ए सुगंध अथवा दुर्गंध धर्मास्तिकायादि कोइपण द्रव्यमां नहि परन्तु मात्र पुद्गलद्रव्यमांज होय छे, माटे गंध ए पुद्गलनु लक्षण अथवा पुद्गलनो गुण छ, पुनः एक परमाणुमां प्रगटपणे एकज गन्ध होय इत्यादि वर्णन वर्णना वर्णनने अनुसारे जाणव
॥रस.॥ जिव्हेन्द्रियनो-रसनेन्द्रियनो जे विषय ते रस ते तिक्त-'तीखो, कटु-कडवो, आम्ल-खाटो, कषाय-तूरो, अने मधुर-मिष्ट ए प्रमाणे ५ प्रकारनो छे. ए रस धर्मास्तिकायादि कोइपण द्रव्यमां नहिं परन्तु मात्र पुद्गलद्रव्यमांज होय छे माटे रस ए पुद्गलनु लक्षण छे. अने एक परमाणुमा प्रगट पणे एक रम होय इत्यादि वर्णन वर्णना वर्णनने अनुसारे जाणवं.
॥स्पश.॥ स्पर्शेन्द्रियनो जे विषय ते स्पर्श कहेवाय अने ते शीत-ठंडो, उष्ण-गरम, स्निग्ध-चिकणो, रुक्ष-लुखो, गुरु-मारी, लघु-हलको, मृदु-कोमळ, अने कर्कश-खडबचडो ए प्रमाणे आठ प्रकारनो छे. ए शीतादिस्पर्श धर्मास्तिकायादि कोइपण द्रव्यमां नहिं परन्तु मात्र पुद्गलद्रव्यमांज होवाथी स्पर्श ए पुद्गलनु लक्षण-गुण कहे
१-२ केटलाएक, ग्रंथोमा तिक्त पटले कडवो अने के टु एटले तीखो एवी पण अथ आव छ, परन्तु विशेष वपगता अर्थ तिक्त तीखो इत्यादि ठीक छ पुनः मारवाडमां घणे ठेकाणे कडवा पदार्थ ने तीखा अने तीखा पदार्थ ने कडवोज कहे छ.
३ खारी रम मधुरमा अन्तर्गत थाय छे, अथवा पांच रममाथी मिश्रभावनो खारा रस . ( लवणी मधुरान्तर्गत इ. त्या. मर्गन इव्यपरे इति तत्वाः वृत्ति