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________________ ( ७८ ) और करोड़ों रुपयों की चोरी करके भी साहूकार ही बनें रहते हैं और राज्य - दण्ड से बचे रहते हैं । ऐसे सभ्य उपायों द्वारा चोरी करने वाले लोगों से जनता की जितनी हानि हो सकती है, उतनी हानि उन असभ्य उपायों द्वारा चोरी करने वाले लोगों से शायद ही होती हो क्योंकि असभ्य उपाय द्वारा चोरी करने वाले लोगों से, जनता सावधान रहती है और उनसे अपने हूकों की रक्षा करने का उपाय भी करती है । परन्तु इन सभ्य उपायों द्वारा चोरी करने वाले प्रतिष्ठित 'शाह' नामधारी लोगों से जनता सावधान नहीं रहती । इस प्रकार, उन असभ्य उपायों द्वारा चोरी करने वालों की अपेक्षा सभ्य उपायों द्वारा चोरी करने वाले कहीं अधिक भयंकर हैं । इन सभ्य उपायों में से कुछ चुने हुए उपाय नीचे दिये जाते हैं । कई लोग व्यापार में स्थिति का झूठा रोब जमा कर लोगों से माल लाते हैं, व्यवहार करते हैं, और दूसरों का रुपया अपने यहां जमा रखते हैं । इस प्रकार दूसरों का धन खींच कर झूठा जमा-खर्च करके बाद में अचानक ही दिवाला निकाल देते हैं। कई व्यापारी, अपनी संपत्ति के बल से बाजारों में एक दम से वस्तु का भाव घटा या बढ़ा देते हैं और इस तरह सारे बाजार पर अपना श्राधिपत्य जमा कर दूसरे के हों का अपहरण करते हैं । --- कई व्यापारी ग्राहक को तो कहते जाते हैं किज्यादा ले, सो छोरा-छोरी खाय या गऊ खाय । ग्राहक सम भते हैं कि व्यापारी कसम खा रहा है, परन्तु व्यापारी यह कह कर भी वस्तु का मूल्य अधिक लेता है । अधिक ली हुई रकम छोरा-छोरी या गाय या गाय के खाते में जमा
SR No.002213
Book TitleGruhastha Dharm Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh
Publication Year1976
Total Pages362
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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