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___ "धन का नाश, मन का ताप ( दुःख ), गृहिणी का चरित्र यानी उनके विषय की बात, अपनी ठगाई की बात और अपमान बुद्धिमान् किसी के आगे प्रकट न करें।"
अपनी स्त्री के विषय की सच्ची गुप्त बात को भी प्रकट करना दूसरे व्रत का अतिचार है, इसलिए बुद्धिमान इससे बचें।
इस अतिचार में पुरुष को लक्ष्य करके स्त्रियों के विषय में जो कुछ कहा गया है वे ही बातें स्त्रियों के विषय में समझनी चाहिये और उन्हें इस अतिचार का नाम 'सभत्तारमंतभेए' समझना चाहिये । स्त्रियों का भी कर्तव्य है कि वे पुरुष से जो कुछ गुप्त बात कहें, या पुरुष उनसे जो गुप्त बात कहे, उन बातों को किसी के आगे प्रकाशित न करें। ऐसा करने पर उनके लिए भी वही अतिचार हो जाता है। .
- ४- मोसुवएसे
दूसरे को असत्य का उपदेश करना, मृषोपदेश कहा जाता है । यदि अचानक असावधानी से मिथ्या उपदेश दे दिया जाय अथवा अपने पास सम्मति पूछने के लिए आये हुए को मिथ्या उपदेश किया जाय, जैसे—मैंने अमुक समय पर इस प्रकार मिथ्या भाषण द्वारा अमुक कार्य किया था, इत्यादि प्रकार से किसी को उपदेश किया जाय तो अतिचार है। यद्यपि ऐसा करने वाला चाहे मिथ्या-भाषण न कर रहा हो, तथापि वह दूसरे को मिथ्या-भाषण में प्रवृत्त करता है, अतः यह अतिचार है ।