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२- गवालिए अर्थात् गौ के विषय में झूठ ____ गौ के विषय में झूठ न बोलने के लिये भी कन्या की ही तरह यह प्रश्न होता है कि क्या गौ के सिवाय अन्य पशुओं के विषय में झूठ बोलना मना नहीं है ? इस प्रश्न का उत्तर भी वही है, जो कन्या के विषय में दिया गया है अर्थात् जिस प्रकार मनुष्यों में कन्या उत्तम है, उसी तरह पशुओं में गौ प्रधान मानी गई है। गौ के विषय में झूठ बोलने का त्याग, सब पशुओं के विषय में झूठ बोलने का त्याग समझना चाहिए ।
गौ पशुओं में सर्वोत्तम इसलिए मानी गई है, क्योंकि मनुष्यों के लिए गौ ही विशेष रूप से आधार है । गाय की सहायता के बिना गृहस्थी नहीं निभ सकती । सूखे तरण खाकर बदले में घी, दूध आदि देने वाला, गौ के सिवाय दूसरा कोई पशु नहीं है । कृषि में भी विशेषतया गौ की ही सहायता होती है, जैसे हल खींचने के लिए बछड़े देना, खाद के लिए गोबर देना आदि । जैन समाज या भारतवर्ष ने ही गौ को सब पशुओं में प्रधान माना है, ऐसा नहीं बल्कि यूरोपियनों ने भी गौ की मुक्तकण्ठ से प्रशंसा की है। आनन्द और कामदेव ऐसे उत्कृष्ट श्रावक. गौत्रों को इन्हीं कारणों से पालते थे और श्रीकृष्ण ने भी इन्हीं बातों को सिद्ध करने के लिये गौएं चराई थीं कि संसार में ऋद्धिसिद्धि की दाता गौ ही है। गौ की महत्ता बताना, यह भी एक . स्वतन्त्र विषय है, इसलिए यहां इतना ही कथन पर्याप्त है।
सारांश यह है कि गौ सर्वोत्कृष्ट पशु है । इसलिये