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इसी तरह कन्या के लिये वर के विषय में भी उक्त प्रकार का उलट-फेर करना, कन्या के लिये झूठ बोलना है । जैसे वर बूढ़ा, कुरूप, मूर्ख और किसी अन्य देश का है, लेकिन उसे यूवक सून्दर और विद्वान् बतलाना । इसी तरह सभी मनुष्यों के विषय में समझ लेना ।
सारांश यह है कि जो बात कन्या से सम्बन्ध रखती है, उसमें किसी प्रकार का, किसी कारण से अयथार्थ भाषण करना, कन्या के विषय में झूठ बोलना कहलाता है।
आज समाज में जो विषमता है, उसके कारणों में से एक कारण कन्या के लिए झूठ बोलना भी है। विशेषतः इसी कारण विधवाओं की इतनी संख्या बढ़ रही है और दम्पती में असन्तुष्टता रहती है । 'समाज द्वारा कन्या पर और क्या-क्या अत्याचार होते हैं, यह एक स्वतंत्र विषय है, जिसे यहां पर कहना अप्रासांगिक होगा।
सम्भवतः अब यह प्रश्न होगा कि- अंगहीना, कुरूपा आदि सदोष कन्या कुप्रांरी तो रह नहीं सकती, ऐसी अवस्था में बिना झूठ बोले काम कैसे चले ? अर्थात् किसी प्रकार झूठ बोल कर भी उसका विवाह तो करना ही पड़ता है । लेकिन ऐसी शंका करने वाले लोग भ्रम में पडे हए हैं। संसार में कन्या ही अंग-हीन आदि दोषयुक्त नहीं होती, बल्कि पुरुष भी होते ही हैं । जब कन्या कुमारी नहीं रह सकती, तो क्या ऐसा पुरुष यह नहीं कह सकता कि ' मैं कुआँरा क्यों रहूँ?" ऐसी अवस्था में उचित तो यह है कि साय मार्ग का अवलम्बन लेकर झूठ के पाप से बचें ।