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(४८) के विषय में झूठ बोलना त्याज्य नहीं है ? ऐसी शंका करने वाले के लिए ही टीकाकार ने स्पष्ट कर दिया है कि___ " तेन सर्वमनुष्यजातिविषयमलोकमुपलक्षितम् ।" - अर्थात्- कन्या का नाम लेकर मनुष्यमात्र के लिए झूठ न बोलने को कहा गया है ।
यहां कन्या के विषय में जो झूठ बोलने का निषेध है, उसमें उपलक्षण से मनुष्य जाति के विषय में झूठ बोलने का निषेध समझना चाहिए । मनुष्यमात्र के लिए झूठ न बोलने का त्याग न लिख कर कन्या के ही लिए यों लिखा है कि एक तो कन्या के विषय में झूठ बोलना संसार में सब से अधिक निन्द्य समझा जाता है, दूसरे कन्या से ही मनुष्य की उत्पत्ति है । जब जड़ के विषय में झूठ बोलने का त्याग होगा, तब शाखा पल्लव अादि के विषय में झूठ बोलने का त्याग आप ही हो जायेगा । इसलिए कन्या के विषय में झूठ का त्याग करना है । कन्या के विषय में झूठ का त्याग करने का अर्थ यह नहीं है कि अन्य मनुष्य के विषय में झूठ बोला जाय, वरन् यह अर्थ है कि कन्या के साथ ही मनुष्य-मात्र के विषय में झूठ बोलने का त्याग है ।
__मनुष्यों में कन्या को प्रधान माना गया है । पाश्चात्य देशों में भी यह नियम है कि जहाज के तूफान आदि संकटजनक स्थिति में होने पर पहले कन्याओं की, पश्चात् बालकों की, स्त्रियों की और फिर पुरुषों की रक्षा का क्रमशः ध्यान रखा जाता है । इसका कारण यही है कि कन्या, पुरुष-रत्न की खान और भावी संतान की माता है ।
विपत्ति में फंसे हुए जहाज से कन्या का उद्धार पहिले