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स्थूल झूठ के भेद
प्राणियों के हितचिन्तक शास्त्रकारों ने श्रावक के त्याग करने योग्य स्थूल- झूठ के भेद भी बतला दिये हैं, जिससे श्रावक लोग इस झूठ पर विशेष रूप से ध्यान रख सकें, क्योंकि संसार में विशेषत: इन्हीं कारणों से झूठ बोला जाता है । शास्त्र में कहा है
"थूलगं मुसावायं समरणोवासश्रो पच्चक्खाइ से य मुसावाए पंचविहे पन्नत्त, तं जहा - कन्नालीए गवालीए भोमालीए नासावहारे कूडसक्खिज्जे || "
श्रर्थात् — श्रमणोपासक स्थूल - झूठ का त्याग करें । वे स्थूल- झूठ पांच प्रकार के हैं- कन्या के विषय में, गौ के विषय में, भूमि के विषय में, धरोहर रक्खी हुई वस्तु के विषय में और झूठी साक्षी देने के विषय में ।
इस पांच प्रकार के स्थूल - झूठ के विषय में पृथक्पृथक् व्याख्या की जाती है ।
१ - कन्नालिए अर्थात् कन्या के विषय में झूठ
यहां शंका हो सकती है कि कन्या ही के लिए झूठ बोलने का निषेध क्यों किया ? क्या पुरुष, बालक या स्त्री