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आदि को, जो इसी कमाई पर ग्रानन्द उड़ाया करते हैं, दूसरा उद्योग करना पड़े प्रर्थात् उनका काम बन्द हो जाय । यद्यपि वकीलों का काम सत्य के अनुसंधान में न्यायाधीश को सहायता देने का है, परन्तु आजकल के बहुत से वकील झूठ को सत्य बनाने में ही अपना गौरव समझते हैं ।
सत्य के विना, किसी मनुष्य का उत्थान नहीं हो सकता । सत्य और प्रिय वचन, वाणी का तप कहलाता है । गीता में कहा है
,
करं वाक्यं सत्यं प्रियहितं च यत् । स्वाध्यायाभ्यसनं चैव वाङ् मयं तप उच्यते ॥'
अध्याय १७
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जो सुनने वाले के मन में उद्वेग करने वाला न हो, सत्य और प्रिय हो, स्वाध्याय का अभ्यासी हो, वह भाषण वाणी का तप है ।'
में
गीता में जो बात कही है, वही उत्तराध्ययन सूत्र निम्न प्रकार से कही है
'कोहे माणे य माया य, लोभे य उवउत्तया । हासे भय मोहरिए, विकहासु तहेव य ॥ एयाई अट्ठ ठाणाई परिवज्जित्त संजयो । सावज्जं मियं काले, भासं भासिज्ज पन्नवं ॥
क्रोध, मान, माया, लोभ, हास्य, भय, वाचालता और विकथा को छोड़ कर, बुद्धिमान् को समय पर थोड़ी और