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काम इनके बिना भी हो सकता था और उस दशा में अनेकों को रोटो भी मिल सकती थी परन्तु बढ़ी हुई. इच्छा-मूर्छा वाले लोग, मिल और कारखाने स्थापित करके. उन कामों को करते हैं, जिनसे बहुतों को होने वाला लाभ एक या कुछ व्यक्ति को ही हो । यद्यपि ऐसा करने से जनता में कंगाली फैलती है, सार्वजनिक कला नष्ट होती है और महारम्भ होता है, लेकिन परिग्रह के लिए इन सब बातों की अपेक्षा नहीं की जाती। . . - अब झूठ के विषय में विचार करते हैं । झूठ का पाप भी परिग्रह के लिए ही किया जाता है । चाहे सूक्ष्म हो या स्थूल, उसका उपयोग परिग्रह के लिए ही होता है । परिग्रह के लिए ही शास्त्रों का पाठ और अर्थ बदला जाता है और शास्त्रों में तात्त्विक परिवर्तन किया जाता है। परिग्रह के लिए वास्तविकता को छिपा कर कृत्रिमता से काम लिया जाता है । परिग्रह के लिए ही झूठी गवाही दी जाती है, कम तोला-नापा जाता है, वस्तु में सम्मिश्रण किया जाता है और सत्य को दबाया जाता है । परिग्रह के लिए ही अच्छी कन्या को बुरी और बुरी कन्या को अच्छी, अच्छे लड़के को बुरा और बुरे लड़के को अच्छा बताया जाता है। परिग्रह के लिए ही ६० के बदले ४५ की और १४ के बदले १८ वर्ष की अवस्था. बताई जाती है । इस प्रकार झूठ सम्बन्धी समस्त पाप भी परिग्रह के लिए ही किया जाता है।
चोरी का पाप भी परिग्रह के लिए ही होता है । ऐसी एक भी चोरी न होगी जो परिग्रह के लिए न की गई हो । इसी प्रकार मैथुन भी परिग्रह के लिए ही होता है ।