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. (२६५) १८ भाइयों की स्वाधीनता छीनने का प्रयत्न किया था ।
परिग्रह के लिये बहिन का भाई द्वारा और भाई का बहिन द्वारा द्रोह किये जाने के उदाहरण भी बहुत हैं। इसी प्रकार मित्रद्रोह भी परिग्रह के लिये होता है । परिग्रह के लिये ही पति द्वारा पत्नी का और पत्नी द्वारा पति का द्रोह किया जाता है । सूरिकान्ता रानी ने अपने पति परदेशी राजा की हत्या परिग्रह के लिये ही की थी । आज भी ऐसे बहुत उदाहरण देखने-सुनने में आते हैं ।
समाज का द्रोह भी परिग्रह के लिये ही किया जाता है । परिग्रह के लिये ही ऐसे काम किये जाते हैं, जिनसे समाज का अहित होता है। परिग्रह के कारण जाति मोर देश से भी द्रोह किया जाता है । आज तक जितने भी देशद्रोही हए हैं, उन सब ने परिग्रह के लिये ही देशद्रोह किया था। आज भी लोग देशद्रोह करते हैं वे परिग्रह के लिये ही । परिग्रह के लिये ही वे कार्य किये जाते हैं, जिनसे देश का अहित होता है । .
राजा प्रजा-रक्षक माना जाता है, लेकिन परिग्रह के लिये वह भी प्रजाद्रोही बन जाता है। परिग्रह के लिये ही वह ऐसे-ऐसे नियमोपनियम बनाता है, ऐसे-ऐसे कर लगाता है, जो प्रजा को कष्ट में डालते हैं ।
.. तात्पर्य यह कि संसार में जितनी भी जनहिंसा होती हैं वह परिग्रह के लिए ही । इच्छा-मूर्छा से प्रभावित व्यक्ति को जनहिंसा करने में धर्म-अधर्म या पाप-पुण्य का विचार नहीं होता, न यही विचार होता है कि ये मेरे सम्बन्धी