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( २६४ ) हरण दिये जा सकते हैं, लेकिन थोड़े ही उदाहरणों से काम चल सकता है, इसलिए कंस, कोणिक और औरंगजेब के उदाहरण देना ही प्रर्याप्त हैं। कंस ने अपने पिता उग्रसेन को परिग्रह के लिए ही कारागार में डाल दिया था । कोणिक ने परिग्रह के लिए ही अपने पिता श्रेणिक को पीजरे में बन्द कर दिया था और परिग्रह के लिए ही औरंगजेब ने अपने बूढ़े बाप शाहजहां को आगरे के किले में बन्द करके भूखों-प्यासों मारा था। इसी प्रकार अनेक नर-पिशाचों ने परिग्रह के लिये अपनी जन्मदात्री माता की भी हत्या कर डाली है; उसे भी कष्ट दिया है । योरप के किसी राजा या सेनापति ने अपनी माता को भी मौत के घाट उतार दिया था।
परिग्रह के लिए माता-पिता द्वारा सन्तान का द्रोह किये जाने के उदाहरण भी बहुत मिलेंगे । परिग्रह के लिए ही पुत्र-पुत्री में भेद भाव समझा जाता है और एक को शुभ तथा दूसरे को अशुभ बताया जाता है । परिग्रह के लिए ही सन्तान को दूसरे के हाथ बेचा जाता है और उसके सुख-दुःख की चिन्ता नहीं की जाती। ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती की माता ने परिग्रह के लिए ही * अपने पुत्र ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती को लाक्षा-गृह में जलाने का प्रयत्न किया था ।
परिग्रह के लिए भाई से द्रोह करने के उदाहरण तो सबसे ज्यादा हैं । कौरव-पांडव भाई-भाई ही थे, लेकिन परिग्रह के लिए आपस में लड़ मरे । औरंगजेब ने अपने भाई दारा, शूजा और मुराद को परिग्रह के लिए ही मार डाला था और परिग्रह के लिए ही भरत चक्रवर्ती ने अपने
* भोगों में मूर्छा परिग्रह ही है ।