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________________ ( २२ ) परिग्रह के लिए ही औरंगजेब ने अपने भाइयों की हत्या की थी । कोणिक और चेड़ा का शास्त्र - - प्रसिद्ध युद्ध भी परिग्रह के लिए ही हुआ था । इसी प्रकार और भी संकड़ों हजारों उदाहरण ऐसे हैं, जिनसे यह सिद्ध है कि परिग्रह के लिए ही मनुष्य - मनुष्य की हत्या करता है और अपने पुत्र, पिता, भाई, माता, मामा, स्त्री, पति आदि को मृत्यु के हवाले कर देता है । अभी कुछ ही वर्ष पूर्व यूरोप में जो युद्ध हुआ था और जिसमें लाखों करोड़ों मनुष्य भौत के घाट उतरे थे, वह भी परिग्रह के लिए ही हुआ था । मनुष्यों की हत्या करने में सैनिकों को किसी प्रकार का संकोच न हो, इसी विचार से राजा लोग सैनिकों को वास्तविक धर्म - शिक्षा से वंचित रखते हैं और यह शिक्षा देते दिलाते हैं कि युद्ध करके मनुष्यों को मारना ही धर्म है । यह सब परिग्रह के लिए ही किया जाता है । परिग्रह के लिए ही सैनिक लोग राजाओं की - मनुष्यों को मारने जैसी - वीभत्स आज्ञा का पालन करना अपना पवित्र कर्त्तव्य समझते हैं । परिग्रह के लिए ही युद्ध जैसे महान् पाप को धर्म का रूप दिया जाता है । यह तो उस हिंसा की बात हुई जिसका करना 'वीरता ' माना जाता है, जो समाज में घृणा की दृष्टि से नहीं देखी जाती और समाज भी जिसकी निन्दा नहीं करता किन्तु जिस हिंसा के करने वाले को 'वीर' उपाधि से विभूषित करता है । अब उस हिंसा की बात करते हैं जो राज्य द्वारा अपराध मानी जाती है और समाज में भी निन्दित समभी जाती है । चोर डाकू पारदारिक आदि लोग भी परिग्रह के लिये ही जनहिंसा करते हैं । परिग्रह के लिये ही मनुष्य अपनी ही तरह के मनुष्य को बात की बात में कत्ल कर
SR No.002213
Book TitleGruhastha Dharm Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh
Publication Year1976
Total Pages362
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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