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की पूर्ति हो सके। ऐसा होते हुए भी संसार में नङ्ग भूखे लोग दिखाई देने का कारण लोगों की बढ़ी हुई संग्रह बुद्धिही है । कुछ लोग अपने पास आवश्यकता से अधिक पदार्थ संग्रह कर रखते हैं और दूसरे लोगों को उन पदार्थों के उपयोग से बंचित रखते हैं । इसी कारण लोगों को भूखा, नंगा रहना पड़ता है । एक ओर तो कुछ लोग अपने यहां अत्यधिक अन्न जमा रखते हैं, जो सड़ जाता है और दूसरी ओर कुछ लोग अन्न के बिना हाहाकार करते रहते हैं । एक ओर पेटियों में भरे हुए वस्त्र सड़ रहे हैं, उन्हें कीड़े खा रहे हैं और दूसरी ओर लोग जाड़े से मर रहे हैं । एक ओर कुछ लोग बड़े-बड़े मकानों में ताले डाले रखते हैं और दूसरी ओर कुछ लोगों के पास वर्षा, शीत, ताप से बचने तक को स्थान नहीं है । एक ओर कुछ लोगों के पास इतनी ज्यादा भूमि है कि जिसमें कृषि करना उनके लिए बहुत ही कठिन है और दूसरी ओर कुछ लोगों को जमीन का इतना टुकड़ा भी नहीं मिलता जिसको जोत- बोकर वे अपना पेट पाल सकें । कुछ लोगों के पास रुपये पैसे का इतना अधिक संग्रह है कि जिसे जमीन में गाड़ रखा है, या उन्हें जिसकी आव श्यकता ही नहीं है और दूसरी ओर कुछ लोग रत्ती - रत्ती सोना-चांदी या पैसे - पैसे के लिए तरसते हैं । इस प्रकार संसार में जो वैषम्य दिखाई दे रहा है, यह संग्रह बुद्धि के कारण ही ।
जिसकी आवश्यकता नहीं है, उसको अपने पास संग्रह कर रखने और उसके अभाव में दूसरों को कष्ट पाने देने से ही बोल्शेविज्म का जन्म हुआ है । इस प्रकार का वैषम्य रूस में बहुत ज्यादा फैल गया था । अन्त में पीड़ित लोगों