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मन की इच्छानुसार सम्मति मिलती है और मन इन्द्रियानु- . गामी हो जाता है, इसलिए वह इन्द्रियों की रुचि के अनुसार ही इच्छा करता है । इस तरह इन्द्रिय, मन और बुद्धि के अधीन होकर आत्मा इन्द्रियग्राह्य विषयों में ही सुख मानने लगता है और मन को ऐसे ही सूखों की इच्छा करने के लिए-ऐसे ही सुख प्राप्त करने के लिए - बुद्धि द्वारा प्रेरित करता है । इस प्रकार सांसारिक पदार्थों की इच्छा का जन्म होता है। ___मनुष्यों को जिन सांसारिक पदार्थों की इच्छा होती है, वे पदार्थ शब्द, रूप, रस, गन्ध और स्पर्श या इनमें में किसी एक विषय का पोषण करने वाले ही होते हैं । ऐसा कोई ही पदार्थ होगा, जिसके प्रति इच्छा तो है लेकिन वह पदार्थ शब्द, रूप, रस, गंध और स्पर्श इन पांचों, या इनमें से किसी एक का पोषक नहीं है । प्रायः प्रत्येक पदार्थ की इच्छा, इन्द्रियों और मन की विषयलोलुपता से ही होती है । इस प्रकार विचार करने से इस निर्णय पर आना होता है कि मन की चंचलता और इंद्रियों की स्वच्छन्दता से इच्छा का जन्म होता है ।
इच्छा के साथ ही मुर्छा का जन्म होता है । इच्छा और मूर्छा का अविनाभावी सम्बन्ध है । जैसे धुएं के साथ आग का सम्बन्ध है --जहां धुआं है वहां आग भी है-उसी प्रकार जहां इच्छा है, वहां मूर्छा भी है और जहां मूर्छा है, वहां इच्छा तो है ही ।
जीव जब संसार में जन्मता है, तब पूर्व जन्म के संस्कार होने के कारण सांसारिक पदार्थों की इच्छा भी साथ ही