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(२६०) प्रति ममत्व-भाव नहीं है । पदार्थ के प्रति ममत्व-भाव होने, पर ही पदार्थ परिग्रह होता है ।
संसार में अनेक प्राणी हैं । सब प्राणियों की रुचि एक-समान नहीं किन्तु अलग-अलग होती है । एक ही योनि के प्राणियों की रुचि में भिन्नता रहती है, तब अनेक योनियों के प्राणियों की रुचि में भिन्नता होना स्वाभाविक ही है। इसलिए समस्त प्राणियों को किसी एक ही पदार्थ से ममत्व नहीं, किन्तु किसी प्राणी को किसी पदार्थ से ममत्व होता है और किसी को किसी पदार्थ से । यह बात दूसरी है कि एक ही पदार्थ से अनेक प्राणी ममत्व करते हों, परन्तु सब प्राणियों का ममत्व किसी एक ही पदार्थ तक सीमित नहीं रहता । अपनी-अपनी रुचि के अनुसार भिन्न-भिन्न एक या अनेक पदार्थों से ममत्व होता है । जिस वस्तु से नरक के जीव ममत्व करते हैं, स्वर्ग के जीव उससे भिन्न या विपरीत वस्तु से ममत्व करते हैं । यही बातें अन्य योनि के जीवों के लिए भी हैं । किस योनि के जीवों को किन पदार्थों से ममत्व होता है, सब प्राणियों के विषय में यह बताना कठिन भी है और अनावश्यक भी है। यहां जो कुछ कहा जा रहा है, वह मनुष्यों के लिए ही है । अतः केवल मनुष्यों के विषय में इस बात का विचार किया जाता है कि मनुष्य को किन-किन पदार्थों से ममत्व होता है ।
२-प्राभ्यन्तर परिग्रह मनुष्य, बाह्य परिग्रह-युक्त भी होता है, औरं आम्यन्तर परिग्रह-युक्त भी । अर्थात् उसको मिथ्यात्व अविरति