________________
(१२)
पतन हो जाते हैं, वे तोपें तथा मशीनगनें, सत्य द्वारा बल प्राप्त करने वाले आत्मबली का एक रोम भी नहीं हिला सकतीं । उनके सामने वे शाक-भाजी भरने के टोकरों के समान निकम्मी हो जाती हैं ।
इस सत्य द्वारा प्राप्त आत्म-बल को, आजकल 'सत्याग्रह' भी कहते हैं । सत्याग्रह का वास्तविक अर्थ, सत्यबल . का प्रयोग या सत्य पर अटल रहना है ।
सत्य के बल की तुलना कोई बल नहीं कर सकता। इस बल के सामने, मनुष्य-शक्ति तो क्या किन्तु देव-शक्ति भी हार मान जाती है । कामदेव श्रावक पर देवता ने अपनी सारी शक्ति का प्रयोग किया, लेकिन कामदेव ने अपनी रक्षा के लिए किसी अन्य शक्ति का प्राश्रय नहीं लिया। उसने केवल सत्योपार्जित आत्म-बल से ही उस देवता की सारी शक्ति को परास्त कर दिया था ।'
प्रह्लाद के जीवन का इतिहास भी सत्याग्रह का महत्त्वपूर्ण दृष्टांत है । प्रह्लाद ने अपने पिता की अनुचित आज्ञा नहीं मानी । इसलिए उस पर कितने ही अत्याचार किये गये, लेकिन अन्त में सत्याग्रह के सामने, अत्याचारी पिता को ही परास्त होना पड़ा।
बहुत से लोग अत्याचार को मिटाने के लिए, अत्याचार से ही काम लेते हैं । अत्याचार से, अत्याचार चाहे एक बार मिटा-सा दिखाई भी दे, परन्तु वास्तव में वह निर्मूल नहीं होता । समय पाकर वह मिटा हुआ अत्याचार भयंकर रूप में ज्वालामुखी की तरह फट कर बाहर निकल आता है और उसकी लपटें प्रतिपक्षियों का नाश करने के लिए पहिले से भी ज्यादा उग्रता से लपलपाने लगती हैं ।