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गुप्त कार्य और विचारों का प्रभाव भी इतना गहरा और इतनी दूर तक पड़ता है कि जिसका अनुमान लगाना भी कठिन है ।
यद्यपि पूर्ण ब्रह्मचर्य के आदर्श तक सभी लोग नहीं पहुंच सकते, लेकिन प्रत्येक व्यक्ति के सामने इस आदर्श का होना आवश्यक है । जिसकी मानसिक आंखों के सामने यह आदर्श नहीं है, वह पतित से भी पतित हो जाता है । वह दुविषय वासना की लगाम को काबू में नहीं रखता, किन्तु उसका गुलाम हो जाता है । .
पूर्ण ब्रह्मचर्य से नीचा आदर्श, एक पत्नीव्रत और एक पतिव्रत है । जो लोग पूर्ण ब्रहमचर्य के प्रादर्श की ओर सहसा गति करने में अपने आपको असमर्थ देखते हैं- मार्ग में पतित होने का भय है- उनके लिए यह दूसरा नीचे से नीचा आदर्श है. । यह आदर्श कमजोर लोगों के लिए पूर्ण ब्रह मचर्य तक पहुंचने के मार्ग में - एक विश्रान्तिस्थल है । इससे नीचा कोई प्रादर्श नहीं है, न इससे नीची अवस्था वाला ब्रहमचर्य के मार्ग का पथिक ही माना जा सकता है।
विवाह दुर्विषयेच्छा मिटाने की दवा है, न कि दुर्विषयेच्छा की तृप्ति का साधन । दुर्विषयेच्छा की तृप्ति तो कभी हो ही नहीं सकती । उसकी तृप्ति के लिए जैसे-जैसे उपाय किया जायेगा, वह वैसे ही वैसे बढ़ती जायेगी । दुर्विषयेच्छा पूर्ति की प्रत्येक चेष्टा, दुविषयों का अधिकाधिक गुलाम बनाती है ।
विशेषतः विवाह करने का कारण सन्तानोत्पत्ति की