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उम्र होने पर तुम्हारा विवाह होगा। बच्चे के भोजन और कपड़े भी बच्चे को उत्तेजित करते हैं । बच्चों को सैकड़ों तरह की गर्म और उत्तेजक चीजें खाने को देते हैं, अपने अन्ध- प्रेम में, उनकी शक्ति की कोई परवाह नहीं करते । इस प्रकार माता - पिता स्वयं विकारों के सागर में डूब कर अपने लड़कों के लिए बे- लगाम स्वच्छन्दता के प्रादर्श बन जाते हैं ।' गांधीजी का यह कथन, अधिकांश में ठीक है। और इस प्रकार का पालन-पोषण ही विपयेच्छा उत्पन्न करने का कारण है ।
दुर्विषय-भोग उसी प्रकार अस्वाभाविक और बहुम मचर्य उसी प्रकार स्वाभाविक है, जिस प्रकार असत्य, ग्रस्वाभाविक और सत्य स्वाभाविक है । यदि किसी वालक के सामने असत्य का वातावरण न ग्राने दिया जावे तो वह बालक
'असत्य' किसे कहते हैं, यह भी न जानेगा, न असत्य का उपयोग ही करेगा । ठीक इसी प्रकार, यदि किसी वालक के सामने दुर्विषय भोग सम्बन्धी कोई बात न की जावे, काम-भोग का कोई ग्राचरण न किया जावे, तो सम्भवतः उसमें उस प्रकार की दुर्विषयेच्छा उत्पन्न ही न होगी, जैसी कि इससे विपरीतावस्था में उत्पन्न हो सकती है | बच्चों के सामने किसी कुकृत्य को यह समझ कर करना कि वे बच्चे क्या जानें, भूल है | बच्चों पर प्रत्येक अच्छी या बुरी बात का स्थायी प्रभाव पड़ता है । इनके हृदयरूपी कोरे चित्रपट पर प्रत्येक बात इस प्रकार अंकित हो जाती है, जो मिटाने से मिट नहीं सकती । वास्तव में यह समझना ही भूल है कि हमारे किसी कार्य को दूसरा नहीं देखता या हमारे कार्य का अच्छा-बुरा प्रभाव दूसरे पर नहीं पड़ सकता
गुप्त से
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