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( २३७ ) जिसमें स्त्री, पशु रहते हों न रहने का नियम नहीं पाल सकता, लेकिन स्त्री-पुरुष अलग-अलग कमरों में रहने या एक शय्या पर शयन न करने के नियम का पालन कर सकते हैं । इसी प्रकार देशविरति ब्रह्मचारी यदि स्त्री-मात्र को न देखने, उससे बातचीत हंसी-मजाक आदि न करने का नियम नहीं पाल सकता तो पर-स्त्री के लिए तो इस नियम को पाल ही सकता है। सारांश यह कि देशविरति ब्रह्मचारी को सर्वथा नहीं तो आंशिक रूप में जितने भी पाल सकें, उन नियमों का पालन . करना उचित है, जो नियम सर्वविरति ब्रह्मचारी एवं ब्रह्मचारिणी के लिए बताये गये हैं।
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