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________________ ( २३३ ) का पालन बुद्धिहीन पशु भी करते हैं, उन नियमों का पालन यदि बुद्धि-सम्पन्न मनुष्य न करे तो फिर उसमें पशुओं की अपेक्षा शारीरिक रचना के सिवा कौनसी विशेषता रही ? पशु भी प्रायः ऋतुकाल के सिवा अन्य समय में मैथुन नहीं करता । यदि मनुष्य होकर भी इस नियम की अवहेलना करता है, तो इससे अधिक पतन की बात और क्या होगी? स्वदार-सन्तोष-व्रत का पूर्णतया पालन तभी समझना चाहिये, जब परस्त्री को त्यागने के साथ ही स्व-स्त्री के सेवन में भी अनियमितता न की जावे यानी सन्तोष से काम लिया जावे । 8-एक पत्नी -व्रत स्वदार-सन्तोष-व्रत की विशेषता तब है, जब मौजूदा पत्नी के सिवाय अन्य का त्याग कर दिया जाय, जैसा कि आनन्द श्रावक ने अपनी शिवानन्दा स्त्री का ही आगार रखा था । व्रत धारण करने के पश्चात् और विवाह करने की इच्छा न रखी जावे । पुरुषों ने अपने प्रभुत्व से बहुविवाह या एक स्त्री के मरने पर दूसरा विवाह करने का अधिकार बढ़ा लिया है और वर्तमान समय में एक पत्नी के मरने के बाद दूसरी पत्नी करने यानि दूसरा तीसरा विवाह करने की प्रथा चल पड़ी है । इससे ऐसा करना कठिन जान पड़ता है, अन्यथा प्राकृतिक रचना पर ध्यान देने एवं न्याय दृष्टि से विचारने पर यह बात स्पष्ट है कि इस विषय में पुरुष को स्त्री से अधिक अधिकार नहीं है । चरितानुवाद के सूत्रों में ऐसा कोई उदाहरण नहीं दिखाई पड़ता, जो श्रावक की विद्यमान पत्नी मरने पर या विद्यमान कायम रहते हुए भी सकारण दूसरा विवाह किया हो अर्थात् जिस प्रकार स्त्रियां
SR No.002213
Book TitleGruhastha Dharm Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh
Publication Year1976
Total Pages362
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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