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________________ ( २१९ ) ७- एक प्रश्न श्राजकल समाज के सम्मुख विधवा-विवाह का जो प्रश्न उपस्थित है, उसके मूल कारण बाल-विवाह, बेजोड़ - विवाह और विवाह की खर्चीली पद्धति ही हैं । बाल-विवाह एवं बेजोड़ - विवाह के कारण एक ओर तो विधवाओं की संख्या बढ़ जाती है और दूसरी ओर बहुत से पुरुष अविवाहित ही रह जाते हैं । इसी प्रकार विवाह की खर्चीली पद्धति के कारण भी अनेक गरीब परन्तु योग्य युवक भी अविवाहित रह जाते हैं क्योंकि उनके पास वैवाहिक आडम्बर करने को द्रव्य नहीं होता । यदि बाल-विवाह और बेजोड़ विवाह बन्द हो जावें, विवाहों में अधिक खर्च न हुआ करे, तो विधवाओं और अविवाहित पुरुषों की बढ़ी हुई संख्या न रहने पर सम्भवतः विधवाविवाह का प्रश्न आप ही हल हो जाय । सारांश यह कि पूर्व समय में विवाह तब किया जाता था, जब पति-पत्नी सर्वविरति - ब्रह्मचर्य पालने में अपने को असमर्थ मानते थे, अर्थात् विवाह कोई आवश्यक कार्य नहीं समझा जाता था; लेकिन आजकल विवाह एक आवश्यक कार्य माना जाता है । जीवन की सफलता विवाह में ही समझी जाती है । जब तक लड़के लड़की का विवाह न हो जाये, तब तक वे दुर्भागी समझे जाते हैं । इसी कारण आवश्यकता और अनुभव के बिना ही विवाह कर दिया जाता है और वह भी बेजोड़ तथा हजारों लाखों रुपये व्यय करके धूमधाम के साथ । पूर्व समय की विवाह प्रथा समाज दुराचार से बचाती थी समाज का हित साधन में शान्ति रखती थी, समाज को और अच्छी सन्तान उत्पन्न करके
SR No.002213
Book TitleGruhastha Dharm Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh
Publication Year1976
Total Pages362
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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