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४-बेजोड़-निवाह
बेजोड-विवाह भी पूर्व की विवाह-प्रथा और आज की विवाह-प्रथा में भिन्नता बताता है । यद्यपि विवाह में वर
और कन्या की पूर्व-वणित समानता देखना आवश्यक है, लेकिन आज के अधिकांश विवाहों में इस बात का ध्यान बहुत कम रक्खा जाता है । आज के बेजोड़-विवाहों को देखकर यदि यह कहा जावे कि वर या कन्या के साथ नहीं, किन्तु धन-वैभव या कूल के साथ विवाह होता है तो कोई अत्युक्ति न होगी । यद्यपि संसार में प्रत्येक प्राणी अपनी समानता वाले को ही अधिक पसन्द करता है और विवाह के लिये तो यह बात विशेष ध्यान में रखने योग्य है, लेकिन आजकल के बहत से विवाह-ऊंट और .बैल की जोड़ी-जैसे होते हैं । ऐसे विवाह विशेषतः धन या कुल के कारण ही होते हैं अर्थात् या तो धन के लोभ से बेजोड़-विवाह किया जाता है या कूल के लोभ से । बेजोड़-विवाह में धन का लोभ दो प्रकार का होता है । एक तो यह कि लड़के या लड़की की ससुराल धनवान होगी, इसलिए बड़ी अवस्था वाली कन्या के साथ छोटी अवस्था वाले लड़के का या छोटी अवस्था वाली कन्या के साथ बड़ी अवस्था वाले पुरुष का विवाह कर दिया जाता है । दूसरे कन्या या वर के बदले में द्रव्य प्राप्त होगा, इसलिए भी ऐसे विवाह कर दिये जाते हैं। इसी प्रकार कुल के लिए भी बेजोड़-विवाह किए जाते हैं; अर्थात् हमारी लड़की या हमारे लड़के की ससुराल इस प्रकार की घरानेदार या कुलवान होगी, इसलिए भी बेंजोड़-विवाह किये जाते हैं।