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जाता है । सत्य के पूजन की सामग्री के लिए वैसे तो कौड़ियां भी खर्च नहीं होतीं, पर कभी-कभी इतनी कीमत चुकानी पड़ती है कि जिसकी समानता, संसार की सारी उत्तम से उत्तम वस्तुएँ भी नहीं कर सकतीं । यदि कोई पूछे कि सत्य का पूजन किस तरह करना चाहिए तो अर्थात् सत्य का श्राचरण कर । सत्य का प्राचररण करना ही
उत्तर मिलेगा - 'सत्यं चर' मन, वचन और काया से सत्य की पूजा करना है ।