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प्राधुनिक विवाह।
विवाह कब, किस अवस्था में और किन नियमों के साथ होता है, यह थोड़े में बताया जा चुका है। अब यह देखना है कि आजकल की विवाह-प्रथा क्या है, विवाह के नियमादि का पालन किस प्रकार किया जाता है और यदि उन नियमों की अवहेलना की जाती है तो क्या हानि होती है ? यह देखने के लिये इस प्रकरण को बाल-विवाह और बेजोड़ विवाह, इन दो भागों में विभक्त करके क्रमशः दोनों पर विचार किया जाता है।
१-बाल-विवाह पूर्व प्रकरण में यह बताया जा चुका है कि पुरुष और स्त्री की विवाह-योग्य कम से कम अवस्था २० या २५ और १६ वर्ष है । इसके साथ ही यह भी बताया गया है कि पुरुष और स्त्री किस योग्य हों, तब विवाह होता है । अाधुनिक समय के विवाहों में पूर्व-वरिणत विवाह-नियमों की अवहेलना की जाती है। यहापि पुरुष-स्त्री, विवाह-बन्धन में तभी बंध सकते हैं, जब वे आजीवन ब्रह्मचर्य पालने की अपनी अशक्तता का अनुभव कर लें, लेकिन आज के विवाहों में ऐसे अनुभव के लिए समय ही नहीं आने दिया जाता । जैनसमाज में ही नहीं, किन्तु भारत के अधिकांश लोगों में