________________
(२०२)
बहुत मिलती हैं, लेकिन अधिक स्त्रियों के साथ विवाह करना, उस समय की संस्कृति थी और उस समय के पुरुष, अधिक स्त्रियों का होना एक विशेषता और सौभाग्य की बात मानते थे। उस समय की स्त्रियां भी विशेषतः ऐसे ही पुरुष को पसन्द करती थीं, जो वैभवशाली, यशस्वी, और सुन्दर हो । ऐसे पुरुष के कितनी ही स्त्रियां क्यों न हों, उस समय की स्त्रियां, इस बात की अपेक्षा नहीं करती थीं। उस समय की संस्कृति कुछ भी रही हो और अधिक स्त्रियों के साथ विवाह कहने का कुछ भी कारण क्यों न रहा हो, लेकिन आजकल ऐसा करना, उचित नहीं कहला सकता । किसी भी व्यक्ति को, आजकल यह अधिकार नहीं है कि किसी भी वस्तु का उपभोग परिमाण से अधिक करे। इसके अनुसार किसी पूरुप को अधिक स्त्रियों से और किसी स्त्री को अधिक पुरुषों से विवाह करना उचित नहीं है ।
वैद्यक ग्रन्थों पर दृष्टि देने से भी यह ज्ञात होता है कि एक पुरुष की काम-वासना तृप्त करने के लिए एक स्त्री और एक स्त्री की काम-वासना तृप्त करने के लिये एक पुरुष पर्याप्त है । न एक पुरुष अधिक स्त्रियों की काम-वासना शान्त कर सकता है, न एक स्त्री अधिक पुरुषों की। इसके अनुसार भी एक पुरुष का अधिक स्त्रियों से और एक स्त्री का अधिक पुरुषों से विवाह होना अनुचित है ।
१०-पति-पली पर उत्तरदायित्व ।
विवाहित-जीवन सुखपूर्वक निभाने की जिम्मेदारी स्त्री और पुरुष दोनों पर समान रूप से है । हाँ, इसके लिए एक दूसरे का सहायक अवश्य है । फिर भी किसी ऐसे कार्य