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( १७७) वाले लोग उससे कहने लगे कि-तू कैसा मूर्ख है ! गधी को भी मां, बहन और बेटी कोई कहता है ? कहीं गधी भी मां, बहन या बेटी हो सकती है ? लोगों की बात सुनकर, लखारा कहने लगा-भाई, यद्यपि गधी होने के कारण यह मेरी मां, बहन या बेटी नहीं हो सकती, लेकिन स्त्री जाति के प्रति मां, बहन और बेटी की भावना को जन्म देने वाली तो हो सकती है न ? यदि मैं इस गधी को मात, पुत्री और भगिनी भाव से न देखूगा, तो स्त्रियों के प्रति ऐसी भावना कब रख सकूगा ? मैं लखारा हैं। स्त्रियों को चूड़ियां पहनाना मेरा काम है, इसलिये बड़े-बड़े घरों में मेरा प्रवेश है। नित्य ही, सुन्दर-सुन्दर स्त्रियों के कोमल-कोमल हाथ, चूड़ियां पहनाने के लिये, मेरे हाथों में पाया करते हैं। यदि मैं उनके प्रति मातृ, पुत्री और भगिनी भाव न रखू-किसी प्रकार की कूभावना रखू ---- तो मैं लोगों में से अपना विश्वास भी खो दू तथा व्यवसाय से भी हाथ धो बैलूं। मैं इस गधी को भी मां, बहन और बेटी के समान मान सकता है। लखारे की बात सुन कर सबको चुप हो जाना पड़ा ।
तात्पर्य यह है कि सब स्त्रियों के प्रति मात, भगिनी और पुत्री भाव रखने से स्त्रियों के प्रति, कुभावनाएं उत्पन्न ही नहीं होती । इस प्रकार ब्रह्मचर्य-व्रत की रक्षा होती है ।
१२-उपवास
.. वीर्य एक ऐसी वस्तु है, जिसे बिना उपाय के शरीर में रोक रखना- पचा जाना—बहुत कठिन कार्य है । ऐसा करने के लिये उपायों की आवश्यकता है। इस प्रकार के