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________________ ब्रहमचर्यरक्षा के उपाय जेण सुद्धचरिएणं, भवति सुबंभणो, सुसमणो, सुसाहू, स इसी, स मुणी, स संजए स एव भिक्खू जो सुद्धचरति बंभचेरं । . -प्रश्नव्याकरण सूत्र । 'ब्रह्मचर्य के शुद्धाचरण से ही, उत्तम ब्राह्मण, उत्तम श्रमण, और उत्तम साधु होता है । शुद्ध ब्रह्मचर्य को पालने वाला ही ऋषि, मुनि, संयमी और भिक्षु है ।' १- ब्रह्मचर्य-व्रत की रक्षा के दो प्रधान उपाय शास्त्रों में, ब्रह्मचर्य-व्रत की रक्षा के प्रधानतः दो उपाय बताये गये हैं । एक क्रिया-मार्ग और दूसरा ज्ञानमार्ग । क्रिया मार्ग ब्रह्मचर्य के विरोधी संस्कारों को रोकता है और इस प्रकार ब्रह्मचर्यव्रत की रक्षा करता है । लेकिन इस मार्ग से अब्रह्मचर्य के संस्कार निर्मूल नहीं होते । ज्ञानमार्ग अब्रह्मचर्य के संस्कारों को निर्मूल कर देता है। फिर ब्रह्मचारो को, ब्रह्मचर्य-पूर्ण जीवन स्वाभाविक एवं सरल
SR No.002213
Book TitleGruhastha Dharm Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh
Publication Year1976
Total Pages362
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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