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पालन करना उचित है; वीर्य को सुरक्षित रखने से सब लोकों का अर्थ सिद्ध हो जाता है ||२||
इस प्रकार सर्वविरति ब्रह्मचर्य की सब शास्त्र और ग्रन्थों ने प्रशंसा की है । यति-धर्म का पूर्णतया पालन तभी हो सकता है, जब इस सर्वविरति ब्रह्मचर्य व्रत को स्वीकार करके पूर्ण रीति से पाला जाय । इस ब्रह्मचर्य व्रत के बिना अन्य व्रतों को स्वीकार करना तथा उनका पालन करना भी मोक्ष के लिये पर्याप्त नहीं है । अतः मोक्षेच्छुओं को अन्य व्रतों के साथ इस व्रत को स्वीकार करना और पालन करना आवश्यक है ।
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