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प्रारम्भ में दिया जा चुका है । प्रश्नव्याकरण सूत्र में भी कहा है :
जम्बू ! एत्तो य बंभचेरं तव नियम-नाण दंसणचरितसम्मत्तविषयमूलं यम-नियम - गुणप्पहाणजुत्तं, हिमवन्तमहंत तेयमतं पसत्थगंभीरथिमियमभं ।
हे जम्बू ! यह ब्रहमचर्य, उत्तम तप, नियम, ज्ञान, दर्शन, चरित्र, सम्यक्त्व और विनय का मूल है । जिस प्रकार सब पर्वतों में हिमालय महान् और तेजस्वी है, उसी प्रकार सब तपस्यायों में ब्रह ्मचर्य श्रेष्ठ है ।
अन्य ग्रन्थों में भी ब्रहमचर्य को उत्तम तप माना गया है । वेद भी ब्रहमचर्य को ही तप मानते हैं । जैसे
तपो व ब्रह्मचर्यम् ।
ब्रहमचर्य ही तप है ।
गीता में भी ब्रहमचर्य को तप माना है । उसमें
कहा है :
-:
ब्रहमचर्यमहिंसा च शारीरं तप उच्यते ।
अर्थात् -- ब्रह्मचर्य और अहिंसा, शरीर का उत्तम
तप है ।
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इस प्रकार अन्य ग्रन्थकारों ने भी ब्रहमचर्य को उत्तम तपमाना है ।