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________________ लाभ और माहात्म्य तवेसु वा उत्तमं बंभचेरं । सूत्रकृतांग सूत्र । " " ब्रह्मचर्य ही उत्तम तप है । कैसा ब्रह्मचर्य से क्या लाभ होता है और ब्रह्मचर्य का माहात्म्य है, यह संक्षेप में नीचे बताया जाता है । शरीर और धर्म का सम्बन्ध १ आत्मा का ध्येय; संसार के जन्म-मरण से छूटकर, मोक्ष प्राप्त करना है । आत्मा इस ध्येय को तभी प्राप्त कर सकता है, जब उसे शरीर की सहायता हो - अर्थात् शरीर स्वस्थ हो । बिना शरीर के धर्म नहीं हो सकता और बिना धर्म के आत्मा अपने उक्त ध्येय तक नहीं पहुंच सकता । काव्य ग्रन्थों में कहा है शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् । कुमारसम्भव । शरीर ही सब धर्मों का प्रथम और उत्तम साधन है । ,
SR No.002213
Book TitleGruhastha Dharm Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh
Publication Year1976
Total Pages362
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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