________________
( १२७) पालन करने से शरीर में रोग उत्पन्न होते हैं। पर न तो आज तक यह सुना गया है कि ब्रह्मचर्य-पालन से किसी को किसी रोग का शिकार होना पड़ा है और न ऐसा कोई उदाहरण ही देखा गया है । हां, ठीक इससे उल्टे जो लोग विषयी होते हैं, वे ही रोगों द्वारा सताये जाते हैं। यह बात तो प्रत्यक्ष दिखाई देती है । अतएव अपने हृदय से इस भ्रान्ति को निकाल फेंको कि ब्रह्मचर्य से रोग पैदा होते हैं। ब्रह्मचर्य जोवन है । उससे शक्ति का विकास होता है । जहां शक्ति है, वहां रोगों का आक्रमण नहीं होता। अशक्त और दुर्बल पुरुष ही रोगों द्वारा सताये जाते हैं।
खेद है कि लोगों के मन में यह भ्रम उत्पन्न हो गया है कि विषय भोग को इच्छा का दमन करना अशक्य है । परन्तु जैसे नेपोलियन ने असम्भव शब्द कोश में से निकाल डालने को कहा था, उसी प्रकार तुम अपने हृदय में से कामभोग की इच्छा का दमन करने की असम्भवता को निकाल बाहर करो । ऐसा करने से तुम्हारा मनोबल सुदृढ़ बनेगा और तब विषय-भोग की कामना पर विजय प्राप्त करना तनिक भी कठिन न होगा।