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________________ ( १२२) में फंसाने का प्रयत्न किया जा रहा है और इस प्रकार सिनेमा वीर्यनाश के साधन बन रहे हैं । 8-सिनेमा और ग्रामोफोन आजकल के सिनेमा तो नैतिकता से इतने पतित और निर्लज्जतापूर्ण होते सुने जाते हैं कि कोई भला मानुष अपने बालबच्चों के साथ उन्हें देख नहीं सकता । सिनेमा के कारण आज लाखों नवयुवक आचरणहीन बन रहे हैं । इन सिनेमाओं की बदौलत. भारतीय नारी अपनी महत्ता का विस्मरण कर भारतीय सभ्यता के मूल में कूठाराघात कर रही है । यह अत्यन्त खेद की बात है। इसी प्रकार ग्रामो. फोन को भी प्रानन्द का साधन समझा जाता है पर उसके द्वारा संस्कारों में कितनी बुराइयां घूस रही हैं, इस ओर कितने लोगों का ध्यान जाता है ?, १०–ब्रह्मचर्य साधन ब्रह्मचर्य पालने वालों को अथवा जो ब्रह्मचर्य पालना चाहते हैं उन्हें विलासपूर्ण वस्त्रों से, प्राभूषणों से, आहार से सदैव बचते रहना चाहिये । मस्तिष्क में कुविचारों का अंकुर उत्पन्न करने वाले साहित्य को हाथ भी नहीं लगाना चाहिए। जो पुस्तकें धर्म, देश-भक्ति की भावना जागृत करने वाली और चरित्र को सुधारने वाली होती हैं उनमें अंग्रेज सरकार राजनीति की गंध सूघती है और उन्हें जब्त कर लेती है । पर जो पुस्तकें ऐसा गंदा और घासलेटी साहित्य बढ़ाती हैं, प्रजा का सर्वनाश कर रही हैं, उनकी ओर से वह सर्वथा उदासीन रहती है । यह कैसी भाग्यविडम्बना है ?
SR No.002213
Book TitleGruhastha Dharm Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherAkhil Bharat Varshiya Sadhumargi Jain Sangh
Publication Year1976
Total Pages362
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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