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( ११८) जब संतान उत्पन्न हो तो उसका निरोध करने के लिये कृत्रिम उपाय काम में लाना घोर अन्याय है । वीर्य को वृथा बर्बाद करने के समान दूसरा कोई अन्याय नहीं है।
हमारे अन्दर जो शांति और साहस है, वह वीर्य के ही प्रताप से है । अगर शरीर में वीर्य न हो तो मनुष्य हलन-चलन गमनागमन आदि क्रियाएं करने में भी समर्थ नहीं हो सकता।
ब्रह्मचर्य का महत्त्व जो भाई-बहिन ब्रह्मचर्य का पालन करेंगे वे संसार को अनमोल रत्न प्रदान करने में समर्थ हो सकेंगे। हनुमानजी का नाम कौन नहीं जानता ? आलंकारिक भाषा में कहा जाता है कि उन्होंने लक्ष्मणजी के लिए द्रोण पर्वत उठाया था। उसी पर्वत का एक टुकड़ा गिर पड़ा, जो गोवर्धन के नाम से प्रसिद्ध हुआ । अलंकार का प्रावरण दूर कर दीजिए और विचार कीजिए तो इस कथन में हनुमानजो की प्रचण्ड शक्ति का दिग्दर्शन आप पाएंगे । हनुमानजी में इतनी शक्ति कहां से आई ? यह महारानी अंजना और महाराज पवनजी की बारह वर्ष की अखण्ड ब्रह्मचर्य की साधना का प्रताप था । उनके ब्रह्मचर्य पालन ने संसार को एक ऐसा उपहार, ऐसा वरदान दिया, जो न केवल अपने समय में ही अद्वितीय था, वरन् आज तक भी वह अद्वितीय समझा जाता है और शक्ति की साधना के लिए उसकी पूजा भी की जाती है ।
___ बहिनो ! अगर तुम्हारी हनुमान सरीखा शक्तिशाली पुत्र उत्पन्न करने की साध है तो अपने पति को कामुक