________________
( ११० ) तस्य विविधमवहरणं व्यवहारः प्रक्षेपस्तत्प्रतिरूपको व्यवहारः, यद्यत्र घटते ब्रीह्यादि घृतादिषु पलज्जीवसादि तस्य प्रक्षेप इतियावत् तत् प्रतिरूपकेण वा
वसादिना व्यवहरणं तत्प्रतिरूपकव्यवहारः । - अर्थात् -- किसी अच्छी वस्तु में उसी वस्तु के सदृश या उसमें निभने वाली हलकी वस्तु मिला कर देना ‘तप्पडिरूवगववहारे' या ' तत्प्रतिरूपव्यवहार' अतिचार है ।
. किसी अच्छी वस्तु में हल्की वस्तु का संमिश्रण करना, या हल्की वस्तु में थोड़ी अच्छी वस्तु मिला कर उसे अच्छी कह कर देना, या अच्छी वस्तु का नमूना दिखा कर हल्की वस्तू देना आदि कार्यों की गणना चोरी में है। असावधानी में यदि ऐसा हो जावे तो अतिचार है ।
आज कल, इस अतिचार को अनाचार के रूप में सेवन करने की बातें बहत सुनाई देती हैं । पैसा कमाने के लिये कई लोग अच्छी वस्तु में हल्की वस्तु का सम्मिश्रण कर देते हैं । जीरे में रेत मिलाना, रुई या कपास में पानी छिटक कर उसे अधिक वजन का बनाना, घी में खोपरे या मूगफली का तेल या वेजीटेबिल घी मिलाना, शक्कर रंग आदि में आटा या रेत मिलाना, इसी प्रकार नमूने के विरुद्ध हल्की वस्तु देकर, देशी कह कर विदेशी और पवित्र कह कर अपवित्र चीज देना आदि बातें बहुत सुनी जाती हैं । ऐसा करना चोरी है, अतः श्रावकों को सावधानी रखनी चाहिए। अन्यथा भूल में भी इन कामों के होने पर अतिचार हो जाएगा।