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इस तीसरे व्रत को धारण करने से होने वाले लाभ और न धारण करने से होने वाली हानि का यहां दिग्दर्शन कराया गया है । मनुष्य मात्र का कर्तव्य है कि वह इस व्रत को धारण करे । इस व्रत को धारण करने पर जीवन नीतिमय बन जाता है । यदि संसार के सब मनुष्य इस व्रत को धारण करके पूर्ण रीति से पालन करने लगें तो अशांति सदा के लिये नष्ट हो जावे ।
व्रत धारण करने से पूर्ण लाभ तभी है, जब व्रत का निरतिचार पालन किया जावे । इसलिये व्रत धारण करने वाले को व्रत में अतिचार न होने देने की विशेष रूप से सावधानी रखनी चाहिए । जो लोग इस व्रत का निरतिचार पालन करते हैं, उनका सदा कल्याणं ही कल्याण है ।