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अर्थात् - चोरों को चोरी करने की प्रेरणा ' तस्कर प्रयोग' या 'तक्करप्पओगे ' अतिचार है ।
चोरों को चोरी करने की प्रेरणा करना चोरी का प्रतिचार है । फिर वह प्रेरणा चाहे उत्तेजना देकर की जावे या चोरी के कार्य में किसी प्रकार से सहायता देकर । राज्यनियमानुसार भी चोरी की प्रेरणा करने वाला चोर के ही समान दण्डनीय माना जाता है | श्रावक को इस प्रतिचार से बचने के लिये सावधान रहना उचित है ।
चोरों को चोरी में सहायता देकर चोरी की प्रेरणा, करने वाले लोग आजकल बहुत सुने जाते हैं । जैसे, किसी चोर को चोर जानते हुए भी राजकर्मचारियों का उस चोर को अचार ठहराना और इसी तरह चोर जानते हुए भी केवल मेहनताने के लिये वकीलों कां चोर को निर्दोष ठह राने की चेष्टा करना । ऐसा प्रकारान्तर से चोरों की सहायता करके चोरी की प्रेरणा करना है, जो चोरी के ही समान पाप है | श्रावक को इस विषय में सावधान रहने की जरूरत है, जिससे भूल से भी चोरों को चोरी में सहायता देकर चोरी करने की प्रेरणा स्वरूप यह अतिचार न हो । क्योंकि, केवल चोरी करने वाला ही चोर नहीं माना जाता किन्तु चोरी में सहायता या चोरी की प्रेरणा करने वाले भी चोर हैं ।
तीसरा अतिचार विरुद्धरज्जातिकम्मे या विरुद्धराज्यातिक्रम है । इस अतिचार की व्याख्या करते हुए टीकाकार लिखते हैं
विरुद्धनृपोर्यद् राज्यं तस्यातिक्रमः श्रतिलङ्घनं