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आत्मा का दर्शन
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खण्ड-२
९०.ततो मलयं गामं गतो तत्थ पिसायरूवं विउव्वति।
महावीर मलय ग्राम में गए। संगम ने पिशाच का रूप बना उपसर्ग किए।
९१.ततो विनिग्गतो हत्थिसीसं नाम गामो तहिं गतो।
तत्थ वि भगवं भिक्खायरियाए अइगतो......।
महावीर हस्तिशीर्ष ग्राम में गए। वहां भिक्षा के समय संगम ने उपसर्ग किए।
९२.ताहे सामी तोसलिं गतो। बाहिं पडिमं ठितो। ताहे
सो देवो चिंतेति-एस ण पविसति, तो एत्थवि से ठियस्स करेमि। ताहे खड्डगरूवं विउविता......।
महावीर तोसलि गए और ग्राम के बाहर प्रतिमा में स्थित हो गए। संगम ने सोचा-यह ग्राम में नहीं जाता तो मैं यहीं बैठे-बैठे उपसर्ग करूं। संगम ने बाल साधु का रूप बना उपसर्ग किया।
९३. ततो भगवं मोसलिं गतो, बाहिं पडिमं ठितो। इमो
खड्डगरूवं विउव्वित्ता.......।
महावीर मोसलि गए। ग्राम के बाहर प्रतिमा में स्थित हो गए। संगम ने बाल साधु का रूप बना यहां भी उपसर्ग किया।
महावीर फांसी के फंदे पर ९४.ततो भगवं तोसलिं गतो तत्थवि बाहिं पडिमं ठितो। तत्थवि देवो खुड्डगरूवं विउव्वित्ता संधिमग्गं सोहेति। पडिलेहेति य। सामिस्स पासे सव्वाणि खत्तोवकरणाणि विगुव्वति। ताहे सो खुड्डओ गहितो। तुमं कीस एत्थ सोहेसि?
सो साहति-मम धम्मायरियो रतिं मा कंटए भज्जावेहिंति, सो रतिं खणओ णीहिति।
महावीर पुनः तोसलि आए। ग्राम के बाहर प्रतिमा में स्थित हो गए। संगम ने बालसाधु का रूप बनाया। गांव के घरों में सेंध लगाई। इधर-उधर देखा और सेंध लगाने के उपकरण महावीर के पास लाकर रख दिए।
लोगों ने बाल साधु को पकड़ा और पूछा-तुम यहां क्या खोज रहे हो।
वह बोला-मेरे धर्माचार्य के पैरों में रात को कांटा न लग जाए, क्योंकि वे रात को सेंध लगाने के लिए आते
सो कहिं? कहितो। गता। विट्ठो सामी। ताणि य परिपेरंतेण पासति। गहितो, अणीतो, ताहे उक्कलंबितो।
लोगों ने पूछा-कहां हैं तुम्हारे धर्माचार्य ? उसने बताया। लोग गए। महावीर को देखा। चारों ओर रखे शस्त्र देखे। महावीर को बंदी बनाया, ग्रामाधिपति के पास लाए और फांसी के फंदे पर चढ़ाया। __एक ओर से फंदे की रस्सी टूट गई। इस प्रकार सात बार फंदा बांधा और हर बार फंदे की रस्सी एक सिरे से
एक्कसिं रज्जू छिन्नो । एवं सत्त वारा छिन्नो।
टूट गई।
ताहे सिटें तस्स तोसलियस्स खत्तियस्स।
लोगों ने यह बात तोसलि ग्राम के अधिपति क्षत्रिय से कही।
ग्राम के अधिपति ने कहा-छोड़ो इसे। यह निर्दोष है।
सो भणति-मुयह। एस अचोरो, निहोसो।
९५.ततो सिद्धत्थपुरं नाम गामो, तत्थ भगवं गतो।
महावीर सिद्धार्थपुर ग्राम में गए। वहां भी संगम ने